रेलवे रोड पर स्थित अंग्रेजों के जमाने के भवन में तहसील और पटवारखाना चल रहे हैं जहां एक ओर तहसील मेन भवन की छतें बारिश में टपकती हैं वहीं दूसरी ओर पटवारखानों वाले कमरों की हालत बेहद नाजुक है। मेन भवन के पीछे छोटे-छोटे कमरों में 4 पटवारियों को बिठा रखा है जिनकी छतों की हालत जर्जर है छत को स्पोट देने वाली सीमेंट की कड़ियों में लगे लोहे के सरिये बाहर निकले हुए हैं जिनमें जंग लगा हुआ है यदि शीघ्र ही भवन की रिपेयर न करवाई गई तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। इन्ही कमरों में पटवारी बैठते हैं और लोग अपनी जमीनों से जुड़े काम के लिए यहीं आते हैं। बारिश के पानी से राजस्व रिकार्ड को बचाने के लिए छत पर तिरपाल बिछाई हुई है।
इन कमरों में पूरी तहसील के 6 पटवार सर्कलों कालका, बीटना, जनौली, फतेहपुर दिवानवाला, मढ़ांवाला, करनपुर का बेशकीमती राजस्व रिकार्ड पड़ा हुआ है। गौरतलब है कि कालका में अंग्रेजों के शासनकाल के पुराने छोटे भवनों में एसडीएम और तहसील कार्यालय चल रहे हैं ये भवन विश्व धरोहर में शामिल हो चुके हैं इसलिए इसके मूल ढांचे में परिवर्तन नहीं किया जा सकता। प्रदेश सरकार ने लगभग 15 वर्ष पूर्व कालका उपमंडल के सभी विभागों के कार्यालयों को एक छत के नीचे लाने के लिए लघु सचिवालय भवन निर्माण को मंजूरी दी थी लेकिन सचिवालय आज तक नहीं बन पाया यहां तक कि उसके लिए जमीन का चयन तक नहीं किया जा सका है। हालांकि कालका तहसील में रजिस्ट्री करवाने के लिए सरकार द्वारा एक नई इमारत बना दी गई है।
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