पिंजाैर के 60 फीसदी लोग रोजगार के लिए हिमाचल प्रदेश के उद्योगों पर निर्भर - News

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पिंजाैर के 60 फीसदी लोग रोजगार के लिए हिमाचल प्रदेश के उद्योगों पर निर्भर

पिछले कुछ वर्षों से पिंजौर कालका क्षेत्र के लोग इसी को लेकर हिमाचल प्रदेश पर निर्भर हो चुके है। उतर भारत की लाइफ लाइन मानी जाने वाली एचएमटी जिस पर आसपास करीब 100 किलोमीटर क्षेत्र के लोग अपने रोजगार को लेकर इस पर निर्भर करते थे परंतु अब हालात बिलकुल विपरीत हो चुके है। आज क्षेत्र के करीब 60 प्रतिशत लोगों का कारोबार हिमाचल प्रदेश के बद्वी, बरोटीवाला व नालागढ़ (बीबीएन) के हजारों उद्योगों पर निर्भर हो चुका है। अगर हिमाचल के बीबीएन में हजारों उद्योग न आते और एचएमटी के बिगड़े हालात के कारण इस क्षेत्र से लोगो ने पलायन कर जाना था। सरकार द्वारा हिमाचल में उद्योगों को दिए बेनीफिट का समय समाप्त होने पर बेरोजगारी बढ़ जाएगी।

क्योंकि सरकार द्वारा हिमाचल को एक्साइज बेनीफिट 2000 में शुरू किया था जो कि 10 वर्ष के लिए है इसमें जो कारखाने सन 2000 में शुरू हुए उनका बेनीफिट 2010 में समाप्त हो गया जिन्होंने सन 2010 में लगाई है उनका मार्च 2020 में समाप्त हो गया था परंतु उसके बाद कुछ समय के लिए सरकार द्वारा इसे बढ़ा दिया गया था। बेनीफिट समाप्त होने की अवधि आते ही बहुत से उद्योग पलायन भी कर चुके थे। इसके अलावा कुछ उद्योगों ने अपनी वर्कर केपेसिटी कम करके बहुत से लोगों को बेरोजगार भी कर दिया था। इसका भी कुछ असर क्षेत्र के लोगों पर पड़ा है, परंतु बेनीफिट अवधि खत्म होने पर एक बड़ा असर पड़ सकता है। क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी मुश्किल सामने आ सकती है। अगर सरकार ने इससे पहले एचएमटी की जगह पर कोई बड़ा उद्योग लगाने का कदम नहीं उठाया तो क्षेत्र के लिए बड़ी मुश्किल हो सकती है। बद्वी, बरोटीवाला व नालागढ़ (बीबीएन) में करीब 1800 उद्योग है जिसमें लाखों लोग काम करते है। इनमें पिंजौर कालका क्षेत्र से करीब से करीब 40 प्रतिशत लोग वहां पर काम करते है और 30 प्रतिशत लोग अपने कारोबार को लेकर इनसे जुड़े हुए है।
कालका अर्ध पहाड़ी क्षेत्र में बसा हुआ है क्षेत्र को विकसित करने के लिए 1963 में एचएमटी फैक्टरी खुली थी उस समय हजारों कर्मचारी उसमें काम करते थे। परंतु आज फैक्टरी के हालात वैसे न होने के कारण उसका भी क्षेत्र में बहुत ज्यादा असर पड़ा है। सुरजपुर में एसीसी कम्पनी 1937 में खुली थी जिसमें हजारों लोग काम करते थे परंतु 1997 में उसके बंद होने का भी क्षेत्र में बुरा असर पड़ा। इसके अलावा कालका रेलवे वर्कशाप में जहां पर नैरो गेज और ब्राड गेज थी जिसमें करीब 1300 कर्मचारी काम करते थे परंतु करीब 22 वर्ष हो गए ब्राड गेज को जगाधरी शिफट कर दिया गया जिससे उसके बाद कालका में करीब 400 कर्मचारी की रह गए थे। उसके बाद केंद्र सरकार द्वारा विगत 27 अक्तूबर 2016 को एचएमटी ट्रैक्टर प्लांट को बंद करके सैकंडों लोगो को बेरोजगार कर दिया।
इस समय पिंजौर क्षेत्र में जिन लोगों का थोड़ा बहुत कारोबार चल रहा है वह केवल हिमाचल प्रदेश के बद्वी, बरोटीवाला, नालागढ़ और परवाणू में लगे उद्योगों में काम करने वाले उन लोगों के कारण है जो कि पिंजौर कालका क्षेत्र में रहते है। हिमाचल में पैकेज लीज समाप्त होने के बाद क्षेत्र में बहुत ज्यादा बुरा असर पड़ेगा।


सरकार चाहे तो लौट सकती है क्षेत्र में खुशहाली

एचएमटी में सैंकडों एकड़ जगह जिसे केंद्र सरकार को पंजाब सरकार ने करीब 57 वर्ष पूर्व गिफ्ट के रूप में एचएमटी फैक्टरी लगाने के लिए दी थी। अब एचएमटी में अरबों रूपए की मशीनरी समेत इंफ्रास्ट्रक्चर भी लगा हुआ है। अगर भारत सरकार चाहे तो इसे दुबारा से किसी कंपनी के साथ मिलाकर चला सकती थी या फिर किसी प्राइवेट कंपनी को लीज पर देकर इसमें कोई बड़ा उद्योग लगवा सकती है। सरकार को जमीन अधिग्रहण जैसी कार्रवाई में कोई पैसा नहीं देना पड़ता।



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60 percent people of Pinjar depend on Himachal Pradesh industries for employment


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