नीलगंगा थाने के 60 साल के प्रधान आरक्षक रमेशसिंह तोमर मुरैना से 557 किलोमीटर पैदल चलकर उज्जैन आ गए। यह सफर उन्होंने 17 दिन में पूरा किया। शुक्रवार शाम उज्जैन पहुंचने पर पुलिस अफसरों ने उनका स्वागत किया, फिर स्वास्थ्य जांच कराकर घर भेजा। तोमर ने कहा- ड्यूटी निभानी थी, इसलिए पैतृक गांव मेंअपने घर भी नहीं रुका।
तोमर ने बताया वे 21 मार्च को उज्जैन से ग्वालियर गए थे। 22 मार्च को वहां विसरा जमा किया और शाम को ही लॉकडाउन हो गया। इससे जीआरपी थाने ने स्टेशन पर रोक दिया। चार किलोमीटर पैदल चलकर बेटी के घर प्रगतिनगर पहुंचा। वहां चार-पांच दिन रहा। मन में संकोच हो रहा था कि बेटी के घर रहना ठीक नहीं है। यहां से पैदल मुरैना पैतृक घर पहुंचा। बेटे से कहा- मुझे कार से उज्जैन छोड़ आ। उसने कहा- लॉकडाउन में अभी नहीं छोड़ सकता, आप भी यहीं रुक जाओ। बेटे ने जब यह कहा तो मैंने पत्नी से सेव-परमल, अचार व प्याज लिए और बैग में रखकर पैदल चल दिया। रास्ते में जहां फुटपाथ पर जगह मिलती सो जाता। किसी से मदद नहीं मांगी, बस रोज पैदल चलता रहा और यहां आ गया। अधिकारियों को बता दिया है, मेरा स्वास्थ्य परीक्षण हो गया है, रिपोर्ट आने के बाद नीलगंगा थाने पर ड्यूटी करूंगा।
अफसर बोले- फर्ज के लिए ऐसे जज्बे को सैल्यूट
सिंधी कॉलोनी तिराहे पर शुक्रवार शाम सीएसपी रजनीश कश्यप, डीएसपी ट्रैफिक एचएन बाथम व नीलगंगा टीआई कुलवंत जोशी ने प्रधान आरक्षक तोमर का स्वागत किया। हालचाल पूछे व पता किया कि इतना पैदल चले रास्ते में तबीयत खराब नहीं हुई या कोई दिक्कत तो नहीं आई। तोमर ने कहा- मैं चलता रहा, जब थकान हुई कुछ देर रुक जाता था। सीएसपी कश्यप ने कहा- इस उम्र में फर्ज के लिए ऐसा जज्बा सैल्यूट करने वाला है।
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