कोरोना वायरस से फैली महामारी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी के आह्वान पर लोगों ने घरों की लाइट बंद की तो सीधे तौर पर प्रदेश में 200 मेगावाट का लोड कम हो गया है। जबकि हरियाणा में उस वक्त 500 मेगावाट की सप्लाई ज्यादा चल रही थी। यदि समय रहते 500 मेगावाट बिजली की सप्लाई नहीं रुकवाई गई होती तो प्रदेश में पूरा बिजली का सिस्टम फेल हो सकता था।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में रविवार रात ठीक नौ बजे 3600 मेगावाट बिजली की सप्लाई चल ही थी। जबकि डिमांड यानि लोड उस वक्त 3100 मेगावाट का था। परंतु ठीक 9 बजकर 2 मिनट पर एकाकाए 200 मेगावाट का लोड कम होने से डिमांड की अपेक्षा लोड 700 मेगावाट ज्यादा हो गया, जोकि खतरे के स्तर पर था। पहले ही हाई अलर्ट पर चल रहे बिजली विभाग के अधिकारियों ने 500 मेगावाट बिजली की सप्लाई बंद कराई। राज्य में स्टेट लोड डिस्पेच सेंटर बिजली की डिमांड और सप्लाई पर नजर रखता है।
जैसे ही लोड घटा तो यहां से तुरंत नॉर्थ लोड डिस्पेच सेंटर पर संपर्क कर बिजली की सप्लाई रुकवाई। यदि यह सप्लाई नहीं रुकती तो डिमांड ओवर होने की वजह से पूरे हरियाणा में अंधेरा हो सकता था। निगम के एक अधिकारी ने बताया कि नुकसान की चिंता जायज थी, लेकिन सतर्कता से समय निकल गया।
ऐसा क्यों हुआ... लोगों ने टीवी-फ्रिज भी बंद किए
प्रधानमंत्री ने घरों की बिजली बंद करने का आह्वान किया था। परंतु लोगों ने घरों में टीवी-फ्रीज आदि भी बंद कर दिए। इससे एकाएक डिमांड घट गई। बिजली निगमों की ओर से केवल बल्ब बंद करने की अपील की थी, ताकि सप्लाई ज्यादा न हो जाए।
रात 9 बजे से पहले यह थी सप्लाई और डिमांड
राज्य में शाम7.30 बजे 4 हजार मेगावाट की डिमांड चल रही थी। जबकि 3900 यूनिट बिजली कम मिल रही थी। यही समय बिजली के ज्यादा उपयोग का होता है। जबकि घर में भी लगभग हर कमरे, रसोई, आंगन आदि में बिजली की जरूरत होती है। 8 बजे बिजली की डिमांड 3800 मेगावाट चल रही थी, जबकि सप्लाई 3900 मेगावाट की हो रही थी।
9 बजे के बाद यह रही सप्लाई और डिमांड
नौ बजे से 9 मिनट तक लोगों ने बिजली बंद रखी। 9 बजकर 20 मिनट पर राज्य में 3600 मेगावाट की सप्लाई के मुकाबले डिमांड 3480 मेगावाट तक पहुंची। यानि नौ बजे से ज्यादा डिमांड बिजली बंद रहने के बाद जब लोगों ने दोबारा चालू की तो हो गई।
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