(संदीप काैशिक, बलविंदर शम्मी)पंचकूला की एक एयर हाेस्टेस काे सिंगापुर अप-डाउन करने के बाद क्वारेंटाइन किया गया। रूटीन की तरह इनके यहां एक क्वारेंटाइन पाेस्टर भी चिपकाया गया। इसके बाद पुलिस भी रूटीन की चेकिंग करने लगी। वहीं, जब बात रिएल्टी की करें ताे प्रशासन किस तरह क्वारेंटाइन लाेगाें के लिए काम कर रहा है, इस पर भी सवाल खड़े हाे गए। पंचकूला के कालका एरिया निवासी कैफी भारद्वाज एयर हाेस्टेस है और 13 मार्च काे सिंगापुर से वापिस आई थी। जिसके बाद उससे 20 मार्च के आसपास संपर्क किया गया। हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से भी माेबाइल पर ही संपर्क किया गया।
जिसके बाद एयर हाेस्टेस ने आराेप लगाया कि उसके घर पर पुलिस जरूर पूछताछ करने आई थी, लेकिन हेल्थ डिपार्टमेंट के लाेग एक बार भी नहीं आए। जब क्वारेंटाइन पाेस्टर लगाया गया ताे वह भी किसी और के घर पर पाेस्टर चिपकाया दिया, उन्हाेंने आसपास के लाेगाें से यह पूछने की जहमत तक नहीं उठाई कि जाे व्यक्ति विदेश से ट्रेवल कर आया है, वाे यहां है भी या नहीं। कैफी ने आराेप लगाया कि अब पुलिस की ओर से भी उन्हें और उनकी फैमिली काे पर्चा दर्ज करने के लिए धमकियां दी जा रही है।
और वह क्वारेंटाइन पाेस्टर भी दीवार से उतर गया
कैफी ने बताया कि पहले ताे उनके घर पर क्वारेंटाइन पाेस्टर ही नहीं लगाया था। मेरे नाम का क्वारेंटाइन पाेस्टर दूसरे घर पर लगा दिया और वाे भी हवा से या किसी ओर कारण उतर गया। जबकि, मैंने अपना क्वारेंटाइन पाेस्टर अपने व्हाॅट्स एप स्टेटस पर भी लगाया हुआथा। इसके बाद भी अब राउंड लगाने वाली पुलिस हमारे घर पर आकर पर्चा दर्ज करने की धमकी दे रही है। मंगलवार काे भी एक मुलाजिम आया और हमने उन्हें कहा भी कि पाेस्टर हमने नहीं उखाड़ा और उन्हें दिखाया भी, कि पाेस्टर कार के नीचे पड़ा था। इसके बाद पुलिस की मुलाजिम ने मेरे पिता काे पर्चा दर्ज करने की धमकी दी, जिसके बाद कहा गया कि जमानत भी नहीं हाेने दूंगा। इसके बाद मैंने एरिया एसएचओकाे भी फाेन कर इस मामले के बारे में बताया।
हेल्थ डिपार्टमेंट ने फोन पर ही निपटा दिया
कैफी ने बताया कि 12 मार्च काे सिंगापुर गई थी और अगले ही दिन 13 मार्च काे वापिस इंडिया आगई थी। इसके बाद 20 मार्च के आसपास मेरे पास हेल्थ डिपार्टमेंट और कालका हेल्थ सेंटर से भी काॅल आया था। उन्हें बताया था कि मुझे किसी ने क्वारेंटाइन के लिए नहीं कहा, इसके बाद जब बताया ताे मैं खुद भी क्वारेंटाइन हाे गई थी। जब हेल्थ डिपार्टमेंट से बात हुई ताे मैं गुडगांव में थी और मेरे घर पर डाॅक्टराें की काेई टीम नहीं आई। इससे पहले बैंगलाेर थी और उसके बाद गुवाहाटी में थी। जब पाेस्टर लगाया गया ताे न ताे किसी फैमिली मैंबर काे बताया गया और न ही मेरे से मिले और हालचाल तक भी नहीं पूछा गया।
मैं सिर्फ पूछने गया था और काेई धमकी नहीं दी
मैं खुद रूटीन चेकिंग पर गया था और मैने पूछा था कि जाे पाेस्टर लगाया हुआथा वाे कहां गया। हमारा काम है कि अगर काेई क्वारेंटाइन है ताे उस पर नजर रखनी है। अगर काेई बाहर घूमता है ताे उसे मना किया जाता है। क्वारेंटाइन लाेगाें काे बाहर नहीं निकलना हाेता और मैंने भी यही कहा था कि क्वारेंटाइन पाेस्टर लगाया है ताे उसे उतारना नहीं है, अगर ऐसा किया जाता है ताे उस पर कार्रवाई बनती है।- कर्मवीर, पुलिस कर्मचारी, कालका।
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