जिला अस्पताल में जिले के छाेटा नागदा के पास बार्दी गांव की एक महिला प्रसूति के लिए पहुंची थी। उसे सामान्य प्रसव न हाेने से डाॅक्टराें ने ऑपरेशन कक्ष में भी ले लिया था, लेकिन उसका हिमाेग्लाेबिन 6 ग्राम ही हाेने से ऑपरेशन संभव नहीं था। महिला काे बी निगेटिव ब्लॅड ग्रुप की आवश्यकता थी, लेकिन इस ग्रुप का खून जिला अस्पताल की ब्लॅड बैंक में उपलब्ध नहीं था। महिला का पति खून की व्यवस्था के लिए परेशान था। इसी दाैरान अस्पताल में भाेजन के पैकेट देने अाए गुलमाेहर काॅलाेनी के माेहसिन कुरैशी ने परेशान देखा और कारण पूछा। पता चलने पर माेहसीन ने खून दिया। इसके बाद महिला का ऑपरेशन हाे सका।
यह घटनाक्रम गुरुवार शाम पांच बजे जिला अस्पताल में घटा। छाेटा नागदा के पास बार्दी गांव की निशा पति अरविंद काे यहां प्रसूति के लिए लाया गया था। माेहसीन ने बताया कि महिला का पति अरविंद बहुत परेशान था। जब उससे बात की ताे उसने बताया कि पत्नी काे ऑपरेशन कक्ष से बाहर कर दिया है, क्याेंकि उसके शरीर में खून बहुत कम है। बी निगेटिव खून नहीं मिल रहा है। काफी समय से भटक रहा हूं। पत्नी गर्भवती है और कहीं से भी खून की व्यवस्था नहीं हाे पा रही है। कोरोना के डर से कोई ब्लॅड डोनर अस्पताल में आने काे तैयार नहीं है। इस पर माेहसिन ने कहा कि उसका ग्रुप बी निगेटिव है। माेहसिन उसके साथ जिला अस्पताल की ब्लड बैंक मेंपहुंचा और खून दिया। वही रक्त महिला काे चढ़ाया गया। इसके बाद महिला का ऑपरेशन से प्रसव कराया गया, उसे लड़का हुआ। अब माता और शिशु दाेनाें स्वस्थ हैं।
माेहसिन ने बताया कि मानव सेवा सबसे बड़ी इबादत है। वह अभी तक करीब 22 बार खून दे चुका है। यदि उसके रक्तदान से किसी की जान बच जाती है ताे इससे बढ़कर अाैर क्या बात हाे सकती है। नीशा बाई का कहना है कि एक भाई ने अाकर वक्त पर उसकी मदद की इसे वह कभी नहीं भूल पाएगी।
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