1) जिला वरीयता के विरूद्ध दाखिल सभी याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं। इससे निराश होने की आवश्यकता नहीं है।
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2) ऑर्डर फुर्सत में पढ़ेंगे। अभी फिलहाल हाई कोर्ट ने नियम 14(1)(a) को सही माना है। 6ख यानी 0 जनपद को मनपसन्द जिले में फॉर्म भरने को सही माना है या नहीं ऑर्डर पढ़ने के बाद बताएंगे। 16448 में तीन शून्य रिक्ति जनपद सकुशल नौकरी कर रहे हैं। यदि 14(1)(a) सही है तो 6(b) सही कैसे? और यदि 6(b) सही है तो 14(1)(a) सही कैसे?
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3) निराश होने की आवश्यकता नहीं है। ये हाई कोर्ट का इतिहास रहा है। ये ज्ज्मेंट टाइम buy करने जैसा है मतलब गलत को सही कहकर लटकाते रहो।
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4) दरअसल ये ओरिजिनल जुरिसडिक्शन है। इस ज्ज्मेंट की वैधता अपैक्स कोर्ट में अपीलेट जुरिसडिक्शन में तय होनी बाकी है
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5) ऐसे ही शिवकुमार पाठक केस में हाईकोर्ट की खंडपीठ ने प्रदेश सरकार द्वारा बेसिक शिक्षक अध्यापक सेवा नियमावली में किए गए 15वें संशोधन को रद्द कर दिया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के उस निर्णय को गलत ठहराया था।
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6) 15वें संशोधन में सरकार ने सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के लिए क्वालिटी प्वाइंट मार्क्स को आधार बनाया था। जबकि हाईकोर्ट ने टीईटी प्राप्तांक को एनसीटीई की 11 फरवरी 2011 की अधिसूचना के क्लाज 9 (बी) के अनुसार अनिवार्य मानते हुए 15वां संशोधन रद्द कर दिया था।
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7) शिवकुमार पाठक केस के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एनसीटीई की अधिसूचना के क्लाज 9 (बी) को बाध्यकारी नहीं माना है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि टीईटी प्राप्तांक को वरीयता देने संबंधी एनसीटीई की गाइडलाइन एक प्रकार का सुझाव है।सुप्रीम कोर्ट ने 15वें संशोधन को सही करार दिया।
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8) पर इस सब के बीच इतना समय बीत गया कि कोर्ट ने सबको बचा लिया। टीईटी मेरिट पर की गई 72,825 सहायक अध्यापकों की नियुक्तियां भी गलत नहीं बताई और न ही 15वें संशोधन पर क्वालिटी प्वाइंट मार्क्स पर नियुक्तियां करने का फैसला ही गलत बताया।
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9) 15वें संशोधन के आधार पर की गई जिन नियुक्तियों पर खतरा था उनमें 10000 सहायक अध्यापक भर्ती, 10000 उर्दू सहायक अध्यापक भर्ती, 15000 सहायक अध्यापक भर्ती, 20000 उर्दू सहायक अध्यापक भर्ती, 16448 सहायक अध्यापक भर्ती, 12460 सहायक अध्यापक भर्ती, 29334 जूनियर हाईस्कूलों में सहायक अध्यापक भर्ती शामिल हैं।
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10) इतिहास अपने आप को फिर दोहराने को तैयार है। इस जजमेंट से थोड़ा और टाइम मिल गया है 15000, 16448 और 12460 में नियुक्त लोगो को जिससे अपैक्स कोर्ट के भले ही नियम 14(1)(a) रद्द करने पर इनकी नियुक्तयाँ सेफ रहेंगी।
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11) नियम 14(1)(a) के विरुद्ध ये लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट में लड़ी जाएगी। 15वां संशोधन, NCTE टेट वैलिडिटी के बाद एक बार पुनः 15000, 16448 और 12460 का सुप्रीम कोर्ट में स्वागत है।
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2) ऑर्डर फुर्सत में पढ़ेंगे। अभी फिलहाल हाई कोर्ट ने नियम 14(1)(a) को सही माना है। 6ख यानी 0 जनपद को मनपसन्द जिले में फॉर्म भरने को सही माना है या नहीं ऑर्डर पढ़ने के बाद बताएंगे। 16448 में तीन शून्य रिक्ति जनपद सकुशल नौकरी कर रहे हैं। यदि 14(1)(a) सही है तो 6(b) सही कैसे? और यदि 6(b) सही है तो 14(1)(a) सही कैसे?
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3) निराश होने की आवश्यकता नहीं है। ये हाई कोर्ट का इतिहास रहा है। ये ज्ज्मेंट टाइम buy करने जैसा है मतलब गलत को सही कहकर लटकाते रहो।
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4) दरअसल ये ओरिजिनल जुरिसडिक्शन है। इस ज्ज्मेंट की वैधता अपैक्स कोर्ट में अपीलेट जुरिसडिक्शन में तय होनी बाकी है
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5) ऐसे ही शिवकुमार पाठक केस में हाईकोर्ट की खंडपीठ ने प्रदेश सरकार द्वारा बेसिक शिक्षक अध्यापक सेवा नियमावली में किए गए 15वें संशोधन को रद्द कर दिया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के उस निर्णय को गलत ठहराया था।
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6) 15वें संशोधन में सरकार ने सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के लिए क्वालिटी प्वाइंट मार्क्स को आधार बनाया था। जबकि हाईकोर्ट ने टीईटी प्राप्तांक को एनसीटीई की 11 फरवरी 2011 की अधिसूचना के क्लाज 9 (बी) के अनुसार अनिवार्य मानते हुए 15वां संशोधन रद्द कर दिया था।
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7) शिवकुमार पाठक केस के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एनसीटीई की अधिसूचना के क्लाज 9 (बी) को बाध्यकारी नहीं माना है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि टीईटी प्राप्तांक को वरीयता देने संबंधी एनसीटीई की गाइडलाइन एक प्रकार का सुझाव है।सुप्रीम कोर्ट ने 15वें संशोधन को सही करार दिया।
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8) पर इस सब के बीच इतना समय बीत गया कि कोर्ट ने सबको बचा लिया। टीईटी मेरिट पर की गई 72,825 सहायक अध्यापकों की नियुक्तियां भी गलत नहीं बताई और न ही 15वें संशोधन पर क्वालिटी प्वाइंट मार्क्स पर नियुक्तियां करने का फैसला ही गलत बताया।
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9) 15वें संशोधन के आधार पर की गई जिन नियुक्तियों पर खतरा था उनमें 10000 सहायक अध्यापक भर्ती, 10000 उर्दू सहायक अध्यापक भर्ती, 15000 सहायक अध्यापक भर्ती, 20000 उर्दू सहायक अध्यापक भर्ती, 16448 सहायक अध्यापक भर्ती, 12460 सहायक अध्यापक भर्ती, 29334 जूनियर हाईस्कूलों में सहायक अध्यापक भर्ती शामिल हैं।
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10) इतिहास अपने आप को फिर दोहराने को तैयार है। इस जजमेंट से थोड़ा और टाइम मिल गया है 15000, 16448 और 12460 में नियुक्त लोगो को जिससे अपैक्स कोर्ट के भले ही नियम 14(1)(a) रद्द करने पर इनकी नियुक्तयाँ सेफ रहेंगी।
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11) नियम 14(1)(a) के विरुद्ध ये लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट में लड़ी जाएगी। 15वां संशोधन, NCTE टेट वैलिडिटी के बाद एक बार पुनः 15000, 16448 और 12460 का सुप्रीम कोर्ट में स्वागत है।
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12460
1) 51 जनपदों में रिक्त पदों के सापेक्ष आधे पद ओपन कैटेगरी यानी अनारक्षित के हैं जिसमें कोई भी आ सकता है।
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2) ऐसा शायद कोई जनपद नहीं है जहां कुल रिक्त पदों के सापेक्ष उसी जनपद से आधे आवेदन न आये हों।
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3) अतएव 24 जनपद के किसी जनरल कैटेगरी वाले व्यक्ति का तो होना ही नहीं साथ ही इन 51 जनपद की अनारक्षित पदों की अंतिम कटऑफ में न आने वाले उसी जनपद के जनरल का भी नहीं होना क्योंकि द्वितीय कॉउंसलिंग के लिए जनरल के पद बचेंगे ही नहीं।
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4) कुछ लोग इसमें हमारा स्वार्थ बताते हैं हमारा कोई स्वार्थ नहीं है। हमारा कंसर्न बस इतना है कि जनरल के ऊपर एक तो आरक्षण की मार दूसरी इस जिला वरीयता की डबल मार।
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5) सीजे ने नियम 14(1)(a) सही ठहराया है अब दूसरे जज 6 ख किस आधार पर सही ठहराएंगे जहां 51 जनपद के लोकल डायलेक्ट के निपुण लोगो के होते सवाते भी दूसरे एलियन लोगो को प्रथम काउंसलिंग में बुलाया जा रहा है।
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6) SPLA 613/2019 मोहित द्विवेदी के बंच केसेस का निर्णय आने पर स्पष्ट होगा। यदि 6ख बचाया जाता है तो उन 51 जनपद में से कोई न कोई ऐसा निकल आएगा जो कथित लोकल डायलेक्ट हाइपोथिसिस में निपुण होगा पर 0 के आने से मेरिट से बाहर हो जाएगा।
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7) और 6ख रद्द होता है तो 0 वाले 24 जिले के मेरिटोरियस जनरल बाहर हैं ही। कुछ लोग कह रहे हैं कि आवेदक ही कम बचे हैं तो वो जानले आवेदनों के साथ साथ यह भी जानना आवश्यक है कि जनरल, ओबीसी एससी के पद पर नहीं लिया जा सकता। ओबीसी, एससी के पदों पर सामान्य परिस्थितियों में नहीं लिया जा सकता
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8) यह बात सीजे को भी पता थी उन्होंने ऐसा निर्णय अपने डिस्क्रेशन अनुसार दिया ताकि 15000, 16448 और 12460 में नियुक्त लोगो को बचाया जा सके।
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9) बाकियों के लिए सुप्रीम कोर्ट क्या करती है क्या नहीं वो कोर्ट जाने। इसलिए सुप्रीम कोर्ट तो भर्ती जाएगी पर हर जनरल वहां याची बनें ये ध्यान रखा जाए ताकि कोर्ट को जता तो आये कि मेरिटोरियस जनरल के साथ इस देश मे हो क्या रहा है।
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~Harsh Jangra
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