▶ :69000 से बिलकुल ही मिलता हुआ सुप्रीम कोर्ट का आर्डर :-
जैसा की रिजवान टीम ने अपने Written submission मे अपना तर्क रखा है कि 👇🏼
*➡️नियमावली में कोई भी संसोधन भूतलक्षी प्रभावी नही हो सकता।*
(Such Amendment in rule which have retrospective in nature can never permissible) ।।
साथियों इस समबन्ध में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 15 मार्च 2018 को एक reportable जजमेंट दिया है स्टेट आफ कर्नाटक vs कर्नाटक पवन ब्रोकर जिसे बिरोधी कुछ दिन पहले उस आर्डर में डबल बेन्च द्वारा कही गयी बात को कोट करके अफवाह फैलाया गया था असल में हुआ ये था कि जिस बात को बिरोधी कोट किये थे वो डबल बेन्च द्वारा दिए गए आर्डर का अन्श था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने set aside किया है ...आर्डर का लास्ट पॉइंट 46 का अवलोकन कर सकते है जो इस तरह है...judgement of high court is set aside ..
अब आते है मेन मुद्दे पर ...जैसा का उस जजमेंट मे कहा गया है ..Legislature के पास पावर है कि वो Retrospective ammendement कर सकती है यहाँ तक की यह भी कहा है की कोर्ट द्वारा find किए गए error को भी ammend करके सही किया जा सकता है जिसे की Notification की खामियां दूर हो सके जो की हाई कोर्ट द्वारा error find किए गए हो...., परंतु वो ammendement ततकालिन नियमावली पर कतई प्रभावी नहीं होगा hc के error finding के बाद आप बेशक उसमें सन्शोधन कर सकते है पर उस सन्शोधन /Decision को retrospective ammend करना illegal होगा और ये समझा जाएगा कि legislature HC के judgement को set aise कर रही है ।।।
साथीयो जैसा की माननीय राजेश चौहान सर ने अपने आर्डर में B.ed is unwaranteed लिखा है और बहुत सारे error find भी किये हैं जैसे कि quality point of B.ed , 22 वे सन्शोधन मे B.ed कि अन उपलब्धता etc.. और उसके बाद सरकार ने 23 ,24 ,25 वा संशोधन किए ।।।
अब आप समझ गए होंगे की ये सारे संशोधन और error corrections... retrospective Implement नहीं हो सकते।
मतलब साफ है ये संख्या जो दिखाई जा रही है B.ed की वो फर्ज़ी ही है इन ऑय ऑफ लॉ ।
इसलिए स्वस्थ रहें मस्त रहें 40/45 सिंगल बेन्च का आर्डर अटल सत्य है साथ मे B.ed mercy द्वारा सेकंड priority पर रह सकता है डिपेंड अपॉन कोर्ट क्योंकि legally तो ये लोग पूरी तरह से बाहर हैं।।।
जय हिन्द 🚩
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